शहर के फुटपाथ कभी खाली नहीं करा पाई ‘दून की सरकार’, हटाते ही फिर हो जाता है कब्जा

देहरादून में फुटपाथों पर अतिक्रमण एक बड़ी समस्या है जिससे जनता परेशान है। प्रशासन बार-बार अतिक्रमण हटाता है, लेकिन वे फिर से कब्जा कर लिए जाते हैं। ‘दून की सरकार’ इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने में विफल रही है, जिससे लोगों को चलने में दिक्कत हो रही है। इस समस्या का स्थायी समाधान निकालने की आवश्यकता है।देहरादून। स्मार्ट शहर दून। सुनने में जितना अच्छा लगता है, धरातल पर वैसा कुछ दिखता नहीं। स्मार्ट शहर की परिकल्पना तभी साकार हो सकती है, जब सड़क पर वाहनों के चलने की पर्याप्त जगह हो और पैदल चलने के लिए फुटपाथ। फुटपाथ होंगे तो दुर्घटना का खतरा भी कम होगा व बाजार में खरीदारी करने वालों को परेशानी भी नहीं होगी। …लेकिन दून शहर में ऐसा नहीं है।
यहां सड़कें और फुटपाथ तो बने हैं, लेकिन सड़कों पर वाहनों के लिए पर्याप्त जगह नहीं और पैदल चलने वालों के लिए फुटपाथ खाली नहीं। अब सुप्रीम कोर्ट ने दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में पैदल चलने व साइकिल से चलने वालों की सुरक्षा के दृष्टिगत सड़कों के आडिट
कराने के निर्देश दिए हैं तो उम्मीद जग गई है शायद सरकारी मशीनरी कोई ठोस कदम उठाएगी।दून में सड़क व फुटपाथ पर अतिक्रमण की भरमार है। अतिक्रमण के लिए भी जिम्मेदार नगर निगम है और कार्रवाई न करने के लिए भी। सच तो यह है कि नगर निगम की ””सरकार”” कभी भी शहर के फुटपाथ स्थायी रूप से खाली नहीं करा पाई। दिखावे के लिए न्यायालय के आदेश पर यदा-कदा अभियान जरूर चलाए गए, लेकिन जिस तेजी से अभियान खत्म हुए, उसी तेजी से फुटपाथ फिर ””घिर”” गए।अप्रैल-2022 में सर्वोच्च न्यायालय नई दिल्ली ने देशभर में फुटपाथ पर हुआ अतिक्रमण व कब्जे हटाने के लिए हाकिंग नीति बनाने के निर्देश दिए थे। सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट कहा था कि ””फुटपाथ पर पैदल चलने वालों का अधिकार है, जबकि कईं लोग फुटपाथ पर अतिक्रमण कर फेरी, फड़-ठेली लगा लेते हैं या बगीचे का विस्तार या सुरक्षा गार्ड का केबिन बना देते हैं। यह सार्वजनिक स्थान का अतिक्रमण हैं।””
इसके बाद जून-2024 में मुंबई के उच्च न्यायालय ने भी फुटपाथ पर हुआ अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए। दून शहर में सड़कों और फुटपाथों पर अतिक्रमण व कब्जों को लेकर नैनीताल उच्च न्यायालय भी वर्ष-2012 और वर्ष-2018 में कार्रवाई के आदेश दे चुका है। इसके बावजूद यहां जिम्मेदार सरकारी मशीनरी (नगर निगम) कभी स्थायी कदम नहीं उठा पाया। हालांकि, न्यायालय में दी जाने वाली रिपोर्ट में सरकारी मशीनरी हमेशा यह दावा करती है कि, दून में फुटपाथ हैं और सड़क साफ है, लेकिन सच इसके एकदम उलट है। शहर के सबसे प्रमुख और व्यस्ततम पलटन बाजार और धामावाला बाजार की बात करें तो यहां फुटपाथ तो दूर की बात, सड़क तक नजर नहीं आती।




