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पहाड़ी टोपी, टिहरी की नथ और कुमाऊं का पिछौड़ा, पारंपरिक परिधान व आभूषणों से परिचित हुई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को उत्तराखंड के पारंपरिक परिधानों जैसे पहाड़ी टोपी, टिहरी की नथ और कुमाऊं के पिछौड़ा से परिचित कराया गया। उन्हें राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के बारे में जानकारी दी गई। राष्ट्रपति ने उत्तराखंड की पारंपरिक वेशभूषा और आभूषणों की सराहना की और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने के महत्व पर जोर दिया।पहाड़ी टोपी, गुलोबंद, टिहरी की नथ, कुमाऊं का पिछौड़ा और जौनसार बावर क्षेत्र की पारंपरिक पोशाक। सोमवार को उत्तराखंड राज्य स्थापना की रजत जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित करने आई राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु भी उत्तराखंड के इन पारंपरिक परिधानों व आभूषणों से परिचित हुईं।

असल में विशेष सत्र के पहले दिन तमाम विधायक पहाड़ी वेशभूषा में सदन में पहुंचे थे। विशेष सत्र होने के कारण राजनीतिक रसाकशी नहीं दिखी, बल्कि पूरा माहौल उल्लास से परिपूर्ण था।

विधानसभा के विशेष सत्र को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की उपस्थिति ने गरिमापूर्ण बनाया तो सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों ने भी इस अवसर के लिए खास तैयारी की थी। वे पहाड़ी वेशभूषा में सदन में पहुंचे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी धोती-कुर्ता व पहाड़ी टोपी पहने हुए थे तो विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने भी ने पहाड़ी टोपी व पिछौड़ा पहना हुआ था।सत्तापक्ष से लगभग सभी मंत्री, विधायकों के अलावा विपक्ष के तमाम विधायक भी अलग-अलग रंगों की पहाड़ी टोपी पहने हुए थे। विधायक दुर्गेश्वर लाल तो पारंपरिक वेशभूषा में सदन में पहुंचे थे। महिला विधायकों ने भी राष्ट्रपति का ध्यान अपनी ओर खींचा। विधायक आशा नौटियाल, सरिता आर्य व रेणु बिष्ट नथ, गुलोबंद, पिछौड़ा धारण किए हुए थे।विधानसभा के विशेष सत्र में राष्ट्रपति के संबोधन के सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री भी गवाह बने। राष्ट्रपति का संबोधन सुनने के लिए उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी, पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा व तीरथ सिंह रावत, हरिद्वार सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल, राज्यसभा सदस्य नरेश बंसल, डा कल्पना सैनी समेत अन्य अतिथि विधानसभा की विशेष दीर्घा में उपस्थित रहे।

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