अब मेडिकल कॉलेजों में तीन साल में बदले जाएंगे विभाग प्रमुख, NMC का नया मसौदा जारी; नियमों में किए बदलाव

मेडिकल कॉलेजों में प्रत्येक डॉक्टर को बराबरी का मौका देने के लिए सरकार ने नियमों में बदलाव किया है। इसके तहत अब मेडिकल कॉलेजों में तीन साल बाद सभी विभाग के मुखिया बदले जाएंगे। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने निमयों में बदलाव को चिकित्सा शिक्षा में पारदर्शिता लाने की कवायद बताया है।एनएमसी ने पीजी मेडिकल शिक्षा में बदलाव के लिए स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा विनियम संशोधन 2025 (पीजीएमईआर) का मसौदा जारी किया है। इसके तहत अधिनियम 7.1 में सभी विभाग प्रमुखों का कार्यकाल तीन वर्ष तय किया है। विभागाध्यक्ष का यह पद प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के बीच वरिष्ठता के आधार पर तीन-तीन वर्षों के लिए रोटेट किया जाएगा। एनएमसी के मुताबिक, इस मसौदे पर एक अधिसूचना जारी की गई है जिस पर दो जुलाई तक सुझाव मांगे गए हैं।दरअसल मेडिकल कॉलेजों में विभागाध्यक्षों का रोटेशन बहस का विषय बना हुआ है और वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय कर्नाटक आयुर्विज्ञान संस्थान की ओर से क्रियान्वित रोटेशन नीति से संबंधित मामले की सुनवाई कर रहा है। मामले में इस बात पर सवाल उठाया गया है कि क्या विभागाध्यक्ष का पद प्रशासनिक है, जो एनएमसी विनियमन 3.10 के तहत वरिष्ठता आधारित नियुक्तियों द्वारा शासित है।