रुद्रप्रयाग में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर चला शिक्षा विभाग का डंडा,50 से ज्यादा स्कूलों को भेजे गए नोटिस

बंद होने की कगार पर कई संस्थान।रुद्रप्रयाग जनपद में निजी स्कूलों की मनमानी अब बच्चों और उनके माता पिता की जेब पर भारी पड़ने लगी है। सरकार की तरफ से तय किए गए नियमों को दरकिनार करते हुए ये स्कूल न सिर्फ मनमर्जी की फीस वसूल रहे हैं बल्कि छात्रों को महंगी किताबें और स्टेशनरी लेने के लिए भी मजबूर कर रहे हैं। खास बात यह है कि इनमें से बहुत से स्कूल वो हैं जो जरूरी मानकों को भी पूरा नहीं करते लेकिन फिर भी लगातार चल रहे हैं और इनकी तरफ छात्रों का झुकाव भी बढ़ता जा रहा है। इसके उलट सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या घटती जा रही है जिससे सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर भी असर पड़ा है।उत्तराखंड सरकार ने वित्त पोषित यानी सहायता प्राप्त स्कूलों के लिए साफ आदेश जारी कर रखे हैं कि कक्षा छह से आठ तक किसी भी छात्र से ट्यूशन फीस नहीं ली जा सकती और कक्षा नौ से दस तक यह राशि सिर्फ पंद्रह रुपये प्रति माह तय की गई है। बाक़ी की अन्य फीस भी नाममात्र रखी गई है ताकि बच्चों पर किसी भी तरह का आर्थिक बोझ न पड़े। मगर रुद्रप्रयाग के कई निजी स्कूल इस आदेश को नज़रअंदाज करते हुए अपनी मर्जी से शुल्क वसूलते नजर आ रहे हैं।अगस्त्यमुनि के खण्ड शिक्षा अधिकारी अतुल सेमवाल ने इस बात की पुष्टि की है कि जनपद के कई स्कूलों में अलग अलग नामों से शुल्क वसूले जा रहे हैं जो पूरी तरह नियमों के खिलाफ हैं। शासन का यह भी स्पष्ट निर्देश है कि प्रवेश शुल्क सिर्फ एक बार ही लिया जा सकता है और दोबारा दाखिले पर फिर से फीस लेने की अनुमति नहीं है। कोई भी स्कूल छात्रों से कॉशन मनी नहीं ले सकता और अगर लिया गया है तो उसे लौटाना होगा। इसके अलावा स्कूल अपनी फीस को तीन साल में एक बार ही और वो भी सिर्फ दस प्रतिशत तक बढ़ा सकते हैं।स्कूल प्रबंधन द्वारा किताबों और स्टेशनरी के नाम पर भी छात्रों को महंगे विकल्प खरीदने को मजबूर किया जा रहा है। जबकि नियम यह है कि यदि छात्र के पास पिछले साल की किताबें उपलब्ध हैं तो उसे दोबारा वही किताबें उपयोग करने की अनुमति दी जानी चाहिए। नया सेट खरीदने का दबाव नहीं डाला जा सकता।खण्ड शिक्षा अधिकारी का कहना है कि इस मामले में शिक्षा विभाग ने अब सख्त रुख अपनाया है। रुद्रप्रयाग जिले में फिलहाल पचास से अधिक स्कूलों को नोटिस जारी किए जा चुके हैं। इनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है और तय किया गया है कि जिन स्कूलों के मानक पूरे नहीं हैं उनसे जुर्माना भी वसूला जाएगा। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि कोई विद्यालय बार बार नियमों की अनदेखी करता है तो उसका पंजीकरण रद्द कर उसे बंद करने की कार्रवाई भी की जाएगी।फिलहाल इस सख्ती से जनपद भर में हड़कंप मच गया है। खासकर वे स्कूल जो अब तक सिफारिशों या राजनीतिक पकड़ के चलते बचे हुए थे उन्हें भी अब जवाब देना पड़ेगा। विभाग ने सभी अभिभावकों से अपील की है कि यदि किसी भी स्कूल में अनावश्यक शुल्क लिया जा रहा हो तो वे सीधे खण्ड या जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में शिकायत दर्ज कराएं। हर शिकायत पर विभाग गंभीरता से कदम उठाएगा।